वक्फ संशोधन बिल 2024 एक गन्दी पॉलिसी

 वक्फ अल्लाह के नाम पर दान करने को कहते हैं। अब चाहे जिस भी शक्ल में हो। रुपए, जमीन, कुएं, घर, हाथियार, बगीचे या फिर कोई भी सस्ती या कीमती चीज ही क्यों न हो।

यह कोई नई बात नहीं है। हर धर्म में दान करने का तरीका रहा है। यह किसी खास धर्म से जुड़ा हुआ मामला नहीं है। सभी जानते हैं और इस बात को मानते भी हैं कि अल्लाह का प्रार्थना करने के लिए और उनको खुश करने के लिए कोई ना कोई तरीका, रिवाज़, इबादत इत्यादि हुआ करते हैं। और क्यों ना हो अपने रब परवरदिगार जिसने हम इंसानों को पैदा किया और साथ ही साथ हमारे आवश्यक चीजों को भी हमारे लिए सृष्टि किया। जिससे हमें बहुत तरह का फायदा और लाभ मिलते रहते हैं। तो फिर उसके  शुक्रगुजारी के लिए कोई ना कोई रास्ता होगा ना। जिसके द्वारा उन्हें खुश किया जाए और इनाम में पुरस्कार में स्वर्ग यानी जन्नत हासिल किया जाए। और यह हर कोई चाहता है किसी धर्म के साथ खास नहीं है और यह कोई अकलमंद इंसान कह भी नहीं सकता।

लेकिन हम जिस देश में रहते हैं हमारा देश भारत पूरी दुनिया में एक अनोखा स्थान रखता है। इस देश में हजारों तरह के लोग आपस में मिलजुल कर रहते हैं। चाहे हिंदू हो या मुस्लिम सिख हो या ईसाई। सब आपस में भाई-भाई की तरह रहते हैं एक दूसरे के सुख-दुख में साथ-साथ रहते हैं। किसी तरह का कोई भेदभाव नहीं। आपस में एक ही समाज बनकर एक ही शरीर की तरह रहते हैं। वहां अगर कोई राजनीतिक से जुड़ा आदमी हो या सरकार आपस में धर्म के नाम पर बटवारा करना चाहे तो यह भला कैसे मुमकिन हो सकता है। और कोई कैसे स्वीकार कर सकता है। आज पूरे भारत में आपस में मिलजुल कर रहने के बजाय सरकार की नीति और पॉलिसी ने धर्म के नाम पर जनता को बांटने की कोशिश लगातार कर रही है। कभी किसी धर्म के कानून को गलत बात कर उसे बदलने की खामोखा कोशिश की जा रही है। और यह सिर्फ और सिर्फ मुसलमान के साथ हो रही है और किसी धर्म के साथ ऐसा व्यवहार नहीं किया जा रहा है। आप कभी नहीं सुने होंगे कि किसी हिंदू या सिख इसाई के धर्म के कायदा कानून को बदलने की कोशिश की गई हो। 

वक्फ संशोधन बिल 2024 को 8 अगस्त 2024 के दिन किरण रिजिजू राज गृहमंत्री ने सदन में पेश किया। और विपक्ष दलों ने भरपूर संख्या में इसकी मुखालफत की। और उसको राज्यसभा में भी और लोकसभा में भी भरपूर संख्या में रद्द करने का काम किया गया। विपक्ष दलों के कुछ सांसद और कुछ पक्ष दलों के भी सांसदों ने इसकी भी रद्द करने की अपेक्षा रखी। अब जाकर जेपीसी संयुक्त संसदीय समिति को इसका जांच करने का काम सौंप दिया गया है।और इसकी सुनवाई 19 या 20 सितंबर 2024 को होगी। जेपीसी संयुक्त संसदीय समिति ने आम जनता से इसके ईमेल के द्वारा राय मांगा है। और मुसलमान ने भी बड़ी हिम्मत और बहादुर के साथ ईमेल भी किए हैं और अपनी आवाज खुद उठाने का काम किये हैं।

आखिर में मैं अल्लाह रब्बुल आलामीन से यही प्रार्थना करता हूं। कि हम मुसलमानों के साथ हुए अत्याचार और गलत पॉलिसी और नीति के सरकार की गन्दी साजिशों को नाकाम कर दे और हमारे देश में अमन शांति बहाल रखे। आमीन


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