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وقت بڑا انمول ہے۔

وقت اللہ رب العالمین کی دی ہوئی بیش بہا نعمتوں میں سے ایک ہے،جس کی تعریف اور تمثیل بیان کرنا ہم جیسے چھوٹے قلم کار کی کیا اوقات ہے۔ وقت زندگی ہے یا پھر زندگی وقت ہے،دونوں ایک دوسرے کے ساتھ لازم ملزوم ہے،بس سمجھنے کی بات ہے کہ اگر وقت ہے تو زندگی ہے اور اگر وقت نہیں تو زندگی نہیں اور اگر زندگی ہے تو وقت ہے اور اگر زندگی نہیں تو وقت بھی نہیں۔ کہا جاتا ہے کہ زندگی اور وقت دونوں الگ الگ چیز ہے لیکن دیکھا جائے تو زندگی اور وقت دونوں ایک ہی چیز ہے اس لیے کہ زندگی اگر ہے تو وقت بھی ہے اور اگر زندگی نہیں تو وقت بھی نہیں۔ لوگ کہہ رہے ہیں کہ زندگی گھر ہے اور وقت اس کا حصہ ہے لیکن اب آپ بتائیے کہ کی زندگی پڑی ہوئی ہے لیکن وقت نہیں ہے،اور اسی طرح وقت پڑا ہوا ہے لیکن زندگی نہیں ہے ایسا کہنا سراسر غلط ہوگا۔کیونکہ وقت زندہ ہے تو زندگی زندہ ہے ،اور زندگی زندہ ہے تو وقت زندہ ہے۔ ہاں بھلا ہے آپ کہہ سکتے ہیں کہ زندگی ہے مشغولیت ہے وقت بھی ہے پر فرصت نہیں ہے تو یہ ہے بالکل چل سکتا ہے، بہت سارے لوگ کہتے ہیں کہ اس کام کے لیے میرے پاس وقت ہی نہیں ایسا نہیں ہو سکتا اس کے پاس فرصت نہیں ہے یہ مانا جا سکتا ہے لی...

इस्लाम के तीन बड़े अहम काम

  इस्लाम आमन-शांति का मजहब है। इस्लाम में कभी भी किसी भी वक्त किसी के भी खिलाफ बात करने का जरा बराबर भी इजाजत नहीं देता। इस्लाम वह मजहब है जो एक इंसान को उठने, बैठने, चलने, फिरने, खाने, पीने, पेशाब, पाखाना, नहाना, शादी विवाह और व्यापारी करने का तरीका गरज यह है कि हर वह चीज जो एक इंसान को जरूरी है अति आवश्यक है उन तमाम चीजों में इस्लाम ने मार्गदर्शन की है। वह खाना खाए तो किस तरह खाए? वह पानी पिए तो किस तरह पिए? वह चले तो किस तरह चले? वह बात करें तो किस तरह बात करें? और नहाए तो किस तरह नहाए? वह सफर करे तो किस तरह सफर करें? और शादी विवाह रचाई तो किस तरह रचाए? व्यापारी करें तो किस तरह करें? बड़ों से किस तरह बात करें? छोटों से किस तरह बात करें? गुरुओं के आदर सम्मान कैसे करें? मां आप की खिदमत कैसे करें? भाई बहन में रहे तो किस तरह रहे? पति-पत्नी में किस तरह संबंध बनाए रखें? अपने बच्चों को कैसे प्रशिक्षण दें? उनकी अच्छी रहनुमाई कैसे करें? शिक्षा की क्या अहमियत है? इस्लाम की तीन सबसे बड़ी चीज़ यह है। 1. अकाइद:- अल्लाह के प्रति सही अकीदा होना चाहिए। उसके किताबों के प्रति उसके रसूलों के प्रत...

मनुष्य के अच्छे कार्य उनके अच्छे होने को बतलाता है।

 हम समझते हैं कि अच्छे कार्य अच्छे लोगों की पहचान है। लेकिन यह गलत है। अच्छे लोगों की अच्छाई और अच्छे कार्य उनके अच्छे होने को बतलाता है क्योंकि अगर किसी इंसान के पास अच्छे कार्य नहीं होगी। तो अच्छे कार्य का होना भी जरूरी नहीं है। और उस इंसान का होना भी जरूरी नहीं है। अच्छे कार्य के लिए अच्छे इंसान की जरूरत है। और अच्छे इंसान के लिए अच्छे कार्य का होना अति आवश्यक है। हमारा सोच विचार अच्छे के प्रति बहुत ही नाजुक है। क्योंकि आज की अच्छाई किसी व्यक्ति के अंदर या तो स्वार्थी होती या फिर किसी मतलब के बिना पर उसकी अच्छाई रंग लाती है। जब उसका काम बन जाए तो उसकी अच्छाई उसके अंदर से चली जाती है। गोया कि कुल मिलाकर यह बात सामने आई के एक इंसान की अच्छाई फिलहाल 4 मिनट या चंद सेकेंड के लिए होती है।   तो हमें चाहिए कि हमारे अंदर अपनी अच्छाई को सदा बरकरार रखें और हमारे साथ जो जुड़े हुए हैं। जिनको हमारी अच्छाई की जरूरत है। जिनको हमारी मदद या सहायता की जरूरत है। जिनको हमारे प्रति अच्छाई का गुमान है। उसकी गुमान बरकरार रह सके उसकी जरूरत पूरा हो सके उसकी मदद हो सके उसको हमारी अच्छाई मिल सके।...

खुशहाल एवं आरामदायक जीवन

अगर हमें एक खुशहाल एवं आरामदायक जीवन चाहिए तो सर्व प्रथम हमें अपने अंदर की सुस्ती एवं कोताही दूर करना होगा क्योंकि सुस्ती एवं कोताही है। एक व्यक्ति के लिए सबसे बड़ा शत्रु है। जो उसको आगे बढ़ने नहीं देता है। जो उससे हर वक्त उसकी खुशी छीन लेती है। उसको हमेशा सोचने पर मजबूर कर देता है। उसके अच्छे भाग्य को अपनी सुस्ती एवं कोताही की वजह से खो बैठता है। हम और हमारा समाज

हम और हमारा समाज

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  हम जिस समाज में रहते हैं। उस समाज को क्या नाम दूं समझ में नहीं आ रहा है। कभी तो ऐसा लगता है कि इससे इस्लामी समाज का नाम दूं और कभी-कभी ऐसा लगता है की इसे जिस नाम से भी पुकारो उसी में फिट नहीं खाएगा। ऐसा माहौल है ऐसा समाज है कि किसी नाम के काबिल नहीं। कभी तो ऐसा लगता है कि समाज के रहने वाले को इस्लामी नाम पर पुकारूं। और कभी कभी ऐसा लगता है कि उसे बुराई का अड्डा के नाम से पुकारूं। कभी ऐसा लगता है कि भलाई नाम की कोई चीज मिलने का कोई उम्मीद ही नहीं। जुल्म अत्याचार का माहौल गरम है। न्याय नाम का कोई चीज ही  नहीं। सभी कोर्ट कचहरी में अन्याय का बोलबाला है। हर तरफ लोग परेशान नजर आ रहे हैं कोई इंसाफ इंसाफ का भीख मांग रहा है। बचाओ बचाओ के नाम पर गीत गाए जा रहा है। जिसके कोई सुनने वाला नहीं। सभी एक दूसरे के खिलाफ बातें कर रहे हैं पीठ पीछे बुराई कर रहे हैं। उसको गिराने के चक्कर में लगे रहते हैं। उसकी जमीन जायदाद को हड़पने के चक्कर में लगे हुए है। कोई अगर कुछ अच्छा कर रहा है तो हजार लोग उसके पीछे उसकी बुराई करने में लगे रहते हैं। कोई अगर बड़ा आदमी बन जाता है तो कहता फिरता है जरूर कोई गड़ब...

हवा ईश्वर अल्लाह का बहुत बड़ी नियमत है।

 हवा ईश्वर अल्लाह का दिया हुआ एक बहुत बड़ी नियमत है। उसके हमें शुक्रिया अदा करना चाहिए। क्योंकि हवा एक इंसान के लिए बहुत ही फायदेमंद हैं। बहुत ही लाभदायक है। हवा इंसान के शरीर को बहुत ही स्वस्थ रखता है। उसे हर तरह की बीमारी से मुक्त रखता है। हवा लेने से एक इंसान बहुत ही अपने आप को स्वस्थ तो महसूस करता है। सुकून महसूस करता है। हर तरह की परेशानियों और मुसीबतों को भूल जाता है। और हवा का भरपूर आनंद लेता है। सुहाना हवा दिल को सुकून देता है ठंडी ठंडी हवाएं आंखों को एक अलग ही रोशनी देती है। जब हवा चलती है तो पत्ते हिलते हैं। और सर सर की आवाज हमारे कानों में गूंजती रहती है। जिससे हमें एक अलग प्रकार का आनंद मिलता है। इसलिए दोस्तों खुला मैदान में जाकर या फिर बाग बगीचे में जाकर सुहाना सुहाना हवा और ठंडी ठंडी हवा का आनंद लेना चाहिए।

रमजान का महीना बहुत ही बा बरकत है

 रमजान का महीना बहुत ही बा बरकत है। इस महीने में ईश्वर अल्लाह का विशेष रहमत-बरकत नाजिल होती है इस महीने में अल्लाह रब्बुल आलमीन शैतान को कैद कर देता है जहन्नम के दरवाजे बंद कर देता है। और जन्नत के दरवाजे खोल देता है। रमजान महीने के लैलतुल कद्र में कुरान मजीद को उतारा गया है। जिस रात की बहुत ज्यादा फजीलत है। लैलतुल कद्र 5 रात है। उनमें से किसी एक में कुरान को उतारा गया है। लैलतुल कद्र हजार रातों की इबादतों से बेहतर है। इस महीने में जहन्नम यों को आजाद किया जाता है। इस महीने में रमजान का रोजा फर्ज क्या गया है। रोजा का सवाब अल्लाह ताला खुद देता है। और अन्य नेकियों का बदला फरिश्तों के हाथों देता है।

आदमी खुद बुरा नहीं होते बल्कि आदमी के चरित्र बुरे होते हैं।

 आदमी खुद बुरा नहीं होते बल्कि उसके चरित्र, अखलाक, किरदार, चाल चलन, कार्य, व्यवहार, बातचीत एवं चलने फिरने का अंदाज गलत होते हैं। बुरे होते हैं। खुद आदमी कैसे गलत हो सकता है जो ईश्वर का बना हुआ है। ईश्वर का बना हुआ कोई भी पदार्थ गलत नहीं है बुरा नहीं है। बल्कि उस चीज के चरित्र एवं व्यवहार गलत होते हैं। ईश्वर पर किसी को उंगली उठाने की इजाजत नहीं। ईश्वर सबसे बड़ा दाता है। जो हर चीज का मालिक है। पैदा करने वाला है। रोजी देने वाला है। अनाज देने वाला है। बारिश बरसाने वाला है। सुख दुख में हमेशा साथ देने वाला है। मुसीबतों और परेशानियों को दूर करने वाला वही है। उसके अलावा कोई नहीं।।।  इसलिए दोस्तों कभी भी ईश्वर पर उंगली उठाने की हिम्मत नहीं कीजिएगा। जो ईश्वर पर उंगली उठाता है ईश्वर अल्लाह उन्हें बर्बाद करके रख देता है। तबाह कर देता है। उनकी दुनिया एवं आखिरत बर्बाद हो जाती है वह किसी घाट का नहीं रह जाता।  इसलिए दोस्तों किसी भी इंसान को या व्यक्ति को या आदमी को आप बुरा भला नहीं कर सकते। क्योंकि आदमी खुद बुरा भला नहीं होता बल्कि आदमी का चरित्र, व्यवहार और चाल चलन बुरे भले होते हैं। उन...

इस्लाम क्या है? सम्पूर्ण परिभाषा

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  इस्लाम का अर्थ अमन और शांति के हैं। इस्लाम का अर्थ है अपने आप को ईश्वर अल्लाह के सामने झुका देना उसके आदेश पर माथा टेक देना एवं उसकी आभारी सदैव बने रहना।  ईश्वर अल्लाह के नजदीक सबसे अच्छा सच्चा एवं हक़ के मुताबिक धर्म इस्लाम है जैसा कि ईश्वर अल्लाह का फरमान है "अर्थात अल्लाह के नजदीक हक के अनुसार धर्म इस्लाम ही है"  ईश्वर अल्लाह के नजदीक सबसे पसंदीदा धर्म इस्लाम है। जैसा कि ईश्वर अल्लाह का फरमान है कि "आज मैंने तुम्हारे लिए तुम्हारा धर्म परिपूर्ण कर दिया और अपना उपहार तुम पर पूरा कर दिया एवं इस्लाम को धर्म के आधार पर तुम्हारे लिए पसंद कर लिया"  * नोट :- इसलिए दोस्तों! जो व्यक्ति इस्लाम धर्म के अलावा किसी ओर धर्म के मानने वाला हो तो उसका धर्म अल्लाह के यहां स्वीकृत नहीं है। जैसा कि ईश्वर अल्लाह का फरमान है कि "और जो व्यक्ति इस्लाम के अलावा किसी अन्य धर्म का तलाश करने वाला हो तो उससे हरगिज स्वीकार नहीं किया जाएगा और वह आखिरत में नुकसान उठाने वालों में से होगा"   इस्लाम के मानने वालों को मुस्लिम कहा जाता है।

Knowledge and Research is the secret of development

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Knowledge is a familiarity, awareness, or understanding of someone or something, such as facts, information, descriptions, or skills, which is acquired through experience or education by perceiving, discovering, or learning. Knowledge can refer to a theoretical or practical understanding of a subject. Research is "creative and systematic work undertaken to increase the stock of knowledge, including knowledge of humans, culture and society, and the use of this stock of knowledge to devise new applications."[1] It involves the collection, organization, and analysis of information to increase our understanding of a topic or issue. At a general level, research has three steps: 1. Pose a question. 2. Collect data to answer the question. 3. Present an answer to the question. This should be a familiar process. You engage in solving problems every day and you start with a question, collect some information, and then form an answer. Research is important for three reasons.1...

Rules of the Islamic Media|इस्लामिक मीडिया के नियम-कानून

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Rules of the Islamic Media

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‏أعوذ بالله من الشيطان الرجيم بسم الله الرحمن الرحيم يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا إِن جَاءَكُمْ فَاسِقٌ بِنَبَإٍ فَتَبَيَّنُوا أَن تُصِيبُوا قَوْمًا بِجَهَالَةٍ فَتُصْبِحُوا عَلَىٰ مَا فَعَلْتُمْ نَادِمِينَ. (سورة الحجرات:6) ‏اے مومنوں! اگر تمہیں کوئی فاسق خبر دے تو تم اس کی اچھی طرح تحقیق کرلیا کرو ایسا نہ ہو کہ نادانی میں کسی قوم کو ایذا پہنچا دو پھر اپنے کیے پر پشیمانی اٹھاؤ ۔(سورۃ الحجرات:6) हे विश्वास करने वाले! यदि कोई दुष्ट व्यक्ति आपको सूचित करता है, तो उसकी अच्छी तरह जांच-पड़ताल करें, कहीं ऐसा न हो कि आप अज्ञानता में लोगों को नुकसान पहुँचाएँ, और फिर आपने जो किया है उसके लिए पश्चाताप करें। ”(सूरत अल-हुजुरत: 6) O you who believe! If there comes to you a disobedient one with information, investigate, lest you harm a people out of ignorance and become, over what you have done,  regretful. Surat Al-Hujurat maislamicmedia.blogspot.com