इस्लाम के तीन बड़े अहम काम

 इस्लाम आमन-शांति का मजहब है। इस्लाम में कभी भी किसी भी वक्त किसी के भी खिलाफ बात करने का जरा बराबर भी इजाजत नहीं देता। इस्लाम वह मजहब है जो एक इंसान को उठने, बैठने, चलने, फिरने, खाने, पीने, पेशाब, पाखाना, नहाना, शादी विवाह और व्यापारी करने का तरीका गरज यह है कि हर वह चीज जो एक इंसान को जरूरी है अति आवश्यक है उन तमाम चीजों में इस्लाम ने मार्गदर्शन की है।

वह खाना खाए तो किस तरह खाए? वह पानी पिए तो किस तरह पिए? वह चले तो किस तरह चले? वह बात करें तो किस तरह बात करें? और नहाए तो किस तरह नहाए? वह सफर करे तो किस तरह सफर करें? और शादी विवाह रचाई तो किस तरह रचाए? व्यापारी करें तो किस तरह करें? बड़ों से किस तरह बात करें? छोटों से किस तरह बात करें? गुरुओं के आदर सम्मान कैसे करें? मां आप की खिदमत कैसे करें? भाई बहन में रहे तो किस तरह रहे? पति-पत्नी में किस तरह संबंध बनाए रखें? अपने बच्चों को कैसे प्रशिक्षण दें? उनकी अच्छी रहनुमाई कैसे करें? शिक्षा की क्या अहमियत है?

इस्लाम की तीन सबसे बड़ी चीज़ यह है।

1. अकाइद:- अल्लाह के प्रति सही अकीदा होना चाहिए। उसके किताबों के प्रति उसके रसूलों के प्रति उसके फरिश्तों के प्रति आखेरत के दिन के प्रति तकदीर के भला हो या बुरा उसके प्रति

उसके इलावा अकीदा से जुड़े हर वह चीज जिस पर भरोसा करना सच जानना इमान रखना जरूरी है। अतिआवश्यक है।

अकीदा अल्लाह पर है। और उसी के लिए लायक है।

2. इबादात:- अल्लाह को एक मानना और उसके साथ किसी को शरीक न करना। और मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि व सल्लम को उसके रसूल और बंदा मानना।

नमाज अदा करना, रमज़ान महिने का रोजा रखना, जकात देना, हज करना अगर उसके खर्च के ताकत हो।

इबादात सिर्फ अल्लाह के लिए जरूरी है जायज है। लाजिम है। उसके इलावा किसी की भी जायज है न ही वह इबादात कहलाएगा। बल्कि यह अल्लाह के साथ जुल्म होगा। और अल्लाह कभी भी माफ नही करेगा।

3. मामलात:- यह दुनिया वालों के साथ खास है। अगर दुनिया वालों के साथ अच्छा व्यवहार करते हैं। और ईमानदारी, दयानतदारी, इंसाफ और मिलनसार के साथ रहते हैं। मां बाप भाई बहन दादा दादी नाना नानी चाचा चाची मामा मामी मौसा मौसी फुफा फुफी बेटा बेटी इत्यादि जैसे खास रिश्ते के साथ अच्छे बर्ताव करते हैं। 


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