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وقت بڑا انمول ہے۔

وقت اللہ رب العالمین کی دی ہوئی بیش بہا نعمتوں میں سے ایک ہے،جس کی تعریف اور تمثیل بیان کرنا ہم جیسے چھوٹے قلم کار کی کیا اوقات ہے۔ وقت زندگی ہے یا پھر زندگی وقت ہے،دونوں ایک دوسرے کے ساتھ لازم ملزوم ہے،بس سمجھنے کی بات ہے کہ اگر وقت ہے تو زندگی ہے اور اگر وقت نہیں تو زندگی نہیں اور اگر زندگی ہے تو وقت ہے اور اگر زندگی نہیں تو وقت بھی نہیں۔ کہا جاتا ہے کہ زندگی اور وقت دونوں الگ الگ چیز ہے لیکن دیکھا جائے تو زندگی اور وقت دونوں ایک ہی چیز ہے اس لیے کہ زندگی اگر ہے تو وقت بھی ہے اور اگر زندگی نہیں تو وقت بھی نہیں۔ لوگ کہہ رہے ہیں کہ زندگی گھر ہے اور وقت اس کا حصہ ہے لیکن اب آپ بتائیے کہ کی زندگی پڑی ہوئی ہے لیکن وقت نہیں ہے،اور اسی طرح وقت پڑا ہوا ہے لیکن زندگی نہیں ہے ایسا کہنا سراسر غلط ہوگا۔کیونکہ وقت زندہ ہے تو زندگی زندہ ہے ،اور زندگی زندہ ہے تو وقت زندہ ہے۔ ہاں بھلا ہے آپ کہہ سکتے ہیں کہ زندگی ہے مشغولیت ہے وقت بھی ہے پر فرصت نہیں ہے تو یہ ہے بالکل چل سکتا ہے، بہت سارے لوگ کہتے ہیں کہ اس کام کے لیے میرے پاس وقت ہی نہیں ایسا نہیں ہو سکتا اس کے پاس فرصت نہیں ہے یہ مانا جا سکتا ہے لی...

One Nation, One Election Formula is Absolutely Wrong

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 "One Nation, One Election" की सोच लोकतंत्र के लिए घातक हैं। क्यों? जानें: 1. क्षेत्रीय मुद्दों की उपेक्षा: एक साथ चुनाव होने पर राष्ट्रीय मुद्दे हावी हो सकते हैं, जिससे क्षेत्रीय मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया जा सकता। इससे स्थानीय समस्याओं की अनदेखी होगी। 2. स्थानीय दलों की कमजोर स्थिति: क्षेत्रीय दलों को नुकसान हो सकता है क्योंकि राष्ट्रीय दलों के पास ज्यादा संसाधन और ध्यान होते हैं। इससे लोकतांत्रिक विविधता कम हो सकती है। 3. सरकार की जवाबदेही कम हो सकती है: बार-बार चुनाव होने से सरकारें अपने कामकाज के लिए जवाबदेह रहती हैं। एक साथ चुनाव होने से पांच साल तक सरकारों पर जवाबदेही का दबाव कम हो सकता है। 4. सत्ता के केंद्रीकरण का खतरा: अगर एक ही समय में चुनाव होते हैं तो एक ही पार्टी का प्रभाव केंद्र और राज्यों दोनों में बढ़ सकता है, जिससे सत्ता का केंद्रीकरण हो सकता है। 5. असमान विकास का खतरा: जिन राज्यों के चुनाव बाद में होने थे, वे तुरंत बदलावों का सामना नहीं करेंगे। इससे विकास में असमानता हो सकती है। 6. स्थिरता की कमी: अगर कोई राज्य सरकार बीच में गिरती है, तो क्या पूरे देश में फ...

وقف بورڈ 2024 میں ترمیمی قانون

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وقف بورڈ ہمارے ملک ہندوستان کا بہت بڑا بورڈ ہے۔ جس میں ہندوستان کے مالدار دھن دولت والے مسلمان حضرات اللہ کی راہ میں اپنی زمین یا پھر روپیہ پیسہ باغ باغیچے اور اسی طرح اپنے جائیداد کو بھی وقف کرتے ہیں۔ وقف بورڈ میں ترمیمی قانون لا کر ہمارے مسلم سماج اور مسلم مالی حیثیت کو سیاسی اور حکمرانی جاگیر سمجھنا اور اس کو اپنی ملکیت سمجھنا اور اسے یہ کہنا کہ یہ بورڈ سب کے لیے ہے پورے ملک والوں کے لیے ہے تو یہ سراسر غلط ہے۔مسلمانوں کے ساتھ ظلم ہے،اور یہ ظلم ہمیں برداشت نہیں ہم اس کے خلاف اپنی اواز بلند کریں گے اور حکمران سے سیاسی لیڈروں سے ہمیں بھی امید وابستہ ہے جو مخالف پارٹیاں ہیں ان سے بھی ہماری امیدیں وابستہ ہیں وہ بھی ہمارے ساتھ ساتھ اپنی اواز کو بلند کریں اور ہمارے اس مالی اور ملی حیثیت کو سیاسی طور پر نہ دیکھیں۔ کرن ریجیجو نے لوک سبھا محل میں اٹھ اگست 2024 کو اس بل کو جو کہ ایک کالا بل ہے ظالمانہ تسلط ہے،مسلمانوں کے جائیداد کے ساتھ جبرا تسلط ہے۔جو ترمیمی قانون وقف بورڈ میں لانے کی کوشش کی جا رہی ہے بہت برا قانون ہے،اس قانون میں بہت سارے ظالمانہ تسلط ہے جس کو بیاں کرنا خون کے آنسو کی طرح ر...

آل انڈیا اہل حدیث کانفرنس نئی دہلی 2024

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خوشخبری خوشخبری خوشخبری پورے عالم انسانیت کی رہنمائی وہ نمائندگی اسلامی کلچر میں رہ کر کرنا ہم انسانی سماجی اقتصادی معاشی طور پر واجب تو ہے ہی لیکن شریعت اسلام نے بھی اس پر بڑا زور دیا ہے۔ دنیاوی زندگی میں عالمی اقتصادی سماجی اور معاشی طور طریقے اور انسانی ضرورتیں کو دیکھ کر قوانین و ضوابط بنائے جاتے ہیں اور اسی کے مطابق پوری زندگی گزاری جاتی ہے روز مرہ کے افعال و اعمال دن اور رات کے بدلتے حالات خوشی اور غمی کے لمحات بھول کر بھی بھلائے نہیں جاتے  گردش زمانہ کے مصائب و آلام، رحم و کرم کے بارشیں ،صبح و شام کے پرندوں کے نغمات خوشیوں کے منظر کشی کرتی ہے۔ ہمارا ملک ہندوستان پورے عالم انسانیت کو ایک الگ پیغام دیتا ہے۔اور ڈنکے کی چوٹ کہتا ہے کہ یہ واحد ایسا ملک ہے جہاں پر ہندو مسلم سکھ عیسائی بدھ جین اور دیگر مذاہب کے لوگ اس دیش میں آزادی کے ساتھ اپنے اپنے مذہب کے طور طریقے قاعدہ قانون کے مطابق اپنی زندگی کو خوشحالی کے ساتھ جی رہے ہیں۔کیونکہ یہ ملک سیکولر ہے اور اس سیکولرزم کی وجہ سے ہر طرح کے مذہب مسلک کے ماننے والے اپنے اپنے طور طریقے کے مطابق اپنے رب کریم کو مانتے ہیں اور اس کی عبادت و...

इस्लाम के तीन बड़े अहम काम

  इस्लाम आमन-शांति का मजहब है। इस्लाम में कभी भी किसी भी वक्त किसी के भी खिलाफ बात करने का जरा बराबर भी इजाजत नहीं देता। इस्लाम वह मजहब है जो एक इंसान को उठने, बैठने, चलने, फिरने, खाने, पीने, पेशाब, पाखाना, नहाना, शादी विवाह और व्यापारी करने का तरीका गरज यह है कि हर वह चीज जो एक इंसान को जरूरी है अति आवश्यक है उन तमाम चीजों में इस्लाम ने मार्गदर्शन की है। वह खाना खाए तो किस तरह खाए? वह पानी पिए तो किस तरह पिए? वह चले तो किस तरह चले? वह बात करें तो किस तरह बात करें? और नहाए तो किस तरह नहाए? वह सफर करे तो किस तरह सफर करें? और शादी विवाह रचाई तो किस तरह रचाए? व्यापारी करें तो किस तरह करें? बड़ों से किस तरह बात करें? छोटों से किस तरह बात करें? गुरुओं के आदर सम्मान कैसे करें? मां आप की खिदमत कैसे करें? भाई बहन में रहे तो किस तरह रहे? पति-पत्नी में किस तरह संबंध बनाए रखें? अपने बच्चों को कैसे प्रशिक्षण दें? उनकी अच्छी रहनुमाई कैसे करें? शिक्षा की क्या अहमियत है? इस्लाम की तीन सबसे बड़ी चीज़ यह है। 1. अकाइद:- अल्लाह के प्रति सही अकीदा होना चाहिए। उसके किताबों के प्रति उसके रसूलों के प्रत...

मनुष्य के अच्छे कार्य उनके अच्छे होने को बतलाता है।

 हम समझते हैं कि अच्छे कार्य अच्छे लोगों की पहचान है। लेकिन यह गलत है। अच्छे लोगों की अच्छाई और अच्छे कार्य उनके अच्छे होने को बतलाता है क्योंकि अगर किसी इंसान के पास अच्छे कार्य नहीं होगी। तो अच्छे कार्य का होना भी जरूरी नहीं है। और उस इंसान का होना भी जरूरी नहीं है। अच्छे कार्य के लिए अच्छे इंसान की जरूरत है। और अच्छे इंसान के लिए अच्छे कार्य का होना अति आवश्यक है। हमारा सोच विचार अच्छे के प्रति बहुत ही नाजुक है। क्योंकि आज की अच्छाई किसी व्यक्ति के अंदर या तो स्वार्थी होती या फिर किसी मतलब के बिना पर उसकी अच्छाई रंग लाती है। जब उसका काम बन जाए तो उसकी अच्छाई उसके अंदर से चली जाती है। गोया कि कुल मिलाकर यह बात सामने आई के एक इंसान की अच्छाई फिलहाल 4 मिनट या चंद सेकेंड के लिए होती है।   तो हमें चाहिए कि हमारे अंदर अपनी अच्छाई को सदा बरकरार रखें और हमारे साथ जो जुड़े हुए हैं। जिनको हमारी अच्छाई की जरूरत है। जिनको हमारी मदद या सहायता की जरूरत है। जिनको हमारे प्रति अच्छाई का गुमान है। उसकी गुमान बरकरार रह सके उसकी जरूरत पूरा हो सके उसकी मदद हो सके उसको हमारी अच्छाई मिल सके।...

हम और हमारा समाज

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  हम जिस समाज में रहते हैं। उस समाज को क्या नाम दूं समझ में नहीं आ रहा है। कभी तो ऐसा लगता है कि इससे इस्लामी समाज का नाम दूं और कभी-कभी ऐसा लगता है की इसे जिस नाम से भी पुकारो उसी में फिट नहीं खाएगा। ऐसा माहौल है ऐसा समाज है कि किसी नाम के काबिल नहीं। कभी तो ऐसा लगता है कि समाज के रहने वाले को इस्लामी नाम पर पुकारूं। और कभी कभी ऐसा लगता है कि उसे बुराई का अड्डा के नाम से पुकारूं। कभी ऐसा लगता है कि भलाई नाम की कोई चीज मिलने का कोई उम्मीद ही नहीं। जुल्म अत्याचार का माहौल गरम है। न्याय नाम का कोई चीज ही  नहीं। सभी कोर्ट कचहरी में अन्याय का बोलबाला है। हर तरफ लोग परेशान नजर आ रहे हैं कोई इंसाफ इंसाफ का भीख मांग रहा है। बचाओ बचाओ के नाम पर गीत गाए जा रहा है। जिसके कोई सुनने वाला नहीं। सभी एक दूसरे के खिलाफ बातें कर रहे हैं पीठ पीछे बुराई कर रहे हैं। उसको गिराने के चक्कर में लगे रहते हैं। उसकी जमीन जायदाद को हड़पने के चक्कर में लगे हुए है। कोई अगर कुछ अच्छा कर रहा है तो हजार लोग उसके पीछे उसकी बुराई करने में लगे रहते हैं। कोई अगर बड़ा आदमी बन जाता है तो कहता फिरता है जरूर कोई गड़ब...

हवा ईश्वर अल्लाह का बहुत बड़ी नियमत है।

 हवा ईश्वर अल्लाह का दिया हुआ एक बहुत बड़ी नियमत है। उसके हमें शुक्रिया अदा करना चाहिए। क्योंकि हवा एक इंसान के लिए बहुत ही फायदेमंद हैं। बहुत ही लाभदायक है। हवा इंसान के शरीर को बहुत ही स्वस्थ रखता है। उसे हर तरह की बीमारी से मुक्त रखता है। हवा लेने से एक इंसान बहुत ही अपने आप को स्वस्थ तो महसूस करता है। सुकून महसूस करता है। हर तरह की परेशानियों और मुसीबतों को भूल जाता है। और हवा का भरपूर आनंद लेता है। सुहाना हवा दिल को सुकून देता है ठंडी ठंडी हवाएं आंखों को एक अलग ही रोशनी देती है। जब हवा चलती है तो पत्ते हिलते हैं। और सर सर की आवाज हमारे कानों में गूंजती रहती है। जिससे हमें एक अलग प्रकार का आनंद मिलता है। इसलिए दोस्तों खुला मैदान में जाकर या फिर बाग बगीचे में जाकर सुहाना सुहाना हवा और ठंडी ठंडी हवा का आनंद लेना चाहिए।

रमजान का महीना बहुत ही बा बरकत है

 रमजान का महीना बहुत ही बा बरकत है। इस महीने में ईश्वर अल्लाह का विशेष रहमत-बरकत नाजिल होती है इस महीने में अल्लाह रब्बुल आलमीन शैतान को कैद कर देता है जहन्नम के दरवाजे बंद कर देता है। और जन्नत के दरवाजे खोल देता है। रमजान महीने के लैलतुल कद्र में कुरान मजीद को उतारा गया है। जिस रात की बहुत ज्यादा फजीलत है। लैलतुल कद्र 5 रात है। उनमें से किसी एक में कुरान को उतारा गया है। लैलतुल कद्र हजार रातों की इबादतों से बेहतर है। इस महीने में जहन्नम यों को आजाद किया जाता है। इस महीने में रमजान का रोजा फर्ज क्या गया है। रोजा का सवाब अल्लाह ताला खुद देता है। और अन्य नेकियों का बदला फरिश्तों के हाथों देता है।

आदमी खुद बुरा नहीं होते बल्कि आदमी के चरित्र बुरे होते हैं।

 आदमी खुद बुरा नहीं होते बल्कि उसके चरित्र, अखलाक, किरदार, चाल चलन, कार्य, व्यवहार, बातचीत एवं चलने फिरने का अंदाज गलत होते हैं। बुरे होते हैं। खुद आदमी कैसे गलत हो सकता है जो ईश्वर का बना हुआ है। ईश्वर का बना हुआ कोई भी पदार्थ गलत नहीं है बुरा नहीं है। बल्कि उस चीज के चरित्र एवं व्यवहार गलत होते हैं। ईश्वर पर किसी को उंगली उठाने की इजाजत नहीं। ईश्वर सबसे बड़ा दाता है। जो हर चीज का मालिक है। पैदा करने वाला है। रोजी देने वाला है। अनाज देने वाला है। बारिश बरसाने वाला है। सुख दुख में हमेशा साथ देने वाला है। मुसीबतों और परेशानियों को दूर करने वाला वही है। उसके अलावा कोई नहीं।।।  इसलिए दोस्तों कभी भी ईश्वर पर उंगली उठाने की हिम्मत नहीं कीजिएगा। जो ईश्वर पर उंगली उठाता है ईश्वर अल्लाह उन्हें बर्बाद करके रख देता है। तबाह कर देता है। उनकी दुनिया एवं आखिरत बर्बाद हो जाती है वह किसी घाट का नहीं रह जाता।  इसलिए दोस्तों किसी भी इंसान को या व्यक्ति को या आदमी को आप बुरा भला नहीं कर सकते। क्योंकि आदमी खुद बुरा भला नहीं होता बल्कि आदमी का चरित्र, व्यवहार और चाल चलन बुरे भले होते हैं। उन...

ملک کے موجودہ حالات اور ہماری ذمہ داریاں

ہمارا ملک 15 اگست 1947ء کو انگریزوں اور لاطینی فرانسیسی حکومتوں کی ظلم و ستم سے آزاد ہوا اور 26 جنوری 1950ء کو ہندوستانی قانون نافذ ہوا اس قانون کے مطابق تمام عمرہ گزرا ہوں حکمرانوں کو اپنی حکمرانی وہ پالیسی قائم کرنے کا مکلف بنایا گیا یا جوں جوں وقت گزرتا گیا وقت کے عمرہ اس قانون کے مطابق اپنی حکمرانی و پالیسی قائم کرتے گئے لیکن جب سے وزیر اعظم نریندر مودی حکوم رانی کا باگ ڈور سنبھال لیا ہے تو اس سے ملک کی ترقی و ارتقا اور ہندوستانی ہندوستان کے دیگر مذاہب و ادیان کو چھوڑ کر مسلمانوں کو صفحہ ہستی سے مٹانے کے درپے ہے ہے مسلمانوں پر ظلم و بربریت کے پہاڑ توڑے جا رہے ہیں ان کے نام پر پر گائے کے تحفظ کے نام پر مسلمانوں کو پیٹ پیٹ کر مار دیا جا رہا ہے تو جہاد کے نام پر مسلمانوں کو موت کے گھاٹ اتار دیا جا رہا ہے کوئی تو ہندوستانی مسلمانوں کو وندے ماترم جیسے گندے اور شرکیہ کلام پڑھنے پر مجبور کیا جا رہا ہے اور طلاق ثلاثہ کے مسئلہ کو چھیڑ کر اسلامی قوانین اور ضوابط پر مداخلت اندازی کی مذموم کوششیں کی جا رہی ہیں کبھی مدارس اسلامیہ کو دہشت گرد درد کا ڈاکٹر قرار دیا جا رہا ہے ہے پرسوں کے اخبار میں...

हमारी आवाज

आज हर तरफ शोर बरपा है कि मुस्लमान तबाह हो गये बर्बाद हो गये। आखिर क्यों? क्या वजह है? हम ने अपने पैदा करने वाला रब को भुला दिया। उसके फरमान को पैरों तले कुचल दिया। उसके आखिरी रसुल मोहम्मद सल्लल्लाहु आलैहि व सल्लम के बताये हुए तरीके को भुल गए। निवेदन :  इस लिए जरूरत इस बात की है कि हम अल्लाह और उसके रसुल सल्लल्लाहु आलैहि व सल्लम के बताये हुए तरीके के मुताबिक आपना जीवन वेपन करें।