इस्लाम की परीक्षा एक फकीर की जुबानी : नमाज अदा करो
एक फकीर दरिया के किनारे बैठा था... किसी ने पुछा बाबा क्या कर रहे हो?फकीर ने कहा इंतेजार कर रहा हुं, कि मुकम्मल दरिया बह जाए तो फिर पार करूं। उस आदमी ने कहा कैसी बात करते हो बाबा... मुकम्मल पानी बहने के इंतेजार मे तो तुम कभी दरिया पार ही नही कर पाओगे।फकीर ने कहा, यही तो मै तुमलोगो को समझाना चाहता हुं,की तुमलोग जो हमेशा यह कहते हो की एक बार घर की जिम्मेदार पुरी हो जाए फिर नमाज पढूंगा, दाढ़ी रखूंगा, हज करूंगा, खिदमत करूंगा...जैसे दरिया का पानी से ही पार जाने का रास्ता बनाना है,ठीक उसी प्रकार जिंदगी खत्म हो जाएगी पर जिंदगी के काम और जिम्मेदारी कभी खत्म नहीं होंगे।
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