पानी पाक है उसे कोई चीज़ नापाक नहीं करती।
हम मुसलमान हैं। हम ऐसे ही कोई फैसला हो या फिर कोई कार्य अपने मन के भावनाओं के मुताबिक नहीं कर सकते हैं।
हम किसी भी चीज को गलत तभी कहते हैं जब हमें इस्लाम के अहकामात कहने की इजाजत देती है।
हम किसी भी चीज को सही तभी कहते हैं जब हमें इस्लाम के अहकामात कहने की इजाजत देती है।
पानी पाक है उसे कोई चीज़ नापाक नहीं करती।
इसकी जानकारी हमें कुर्आन और हदीस से प्राप्त होता है। जैसा कि हजरत अबू सईद खुदरी रजी अल्लाहु अनहू वर्णन करते हैं कि रसुलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने कहा " पानी पाक है उसे कोई चीज़ नापाक नहीं करती"
इस हदीस को अबुदाऊद, तिरमीजी, ईब्ने माजा वर्णित किया है। और अहमद ने इसे सही करार दिया है।
* यह हदीस इस बात पर दलालत करती है। जब पानी इतना ज्यादा संख्या में हो तो सिर्फ नेजासत का उसमे गिर जाना उसे नापाक नहीं करता। इसका मतलब यह नहीं है कि सिर्फ पानी में नेजासत गिरने से वह नापाक नहीं होता।
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