रमज़ान महिने की फजीलत एवं अहमियत

 अल्लाह रब्बुल आलमीन के फजल-करम से माहे रमजान उल मुबारक का आरंभ हो चुका है। इसलिए हम सबको अल्लाह रब्बुल आलमीन का शुक्र अदा करना चाहिए कि उसने हमें जिंदगी में एक बार फिर यह मुबारक महीना नसीब फरमाया। एक ऐसा महीना के जिसमें अल्लाह रब्बुल आलमीन जन्नत के दरवाजे खोल देता है। जहन्नम के दरवाजे बंद कर देता है। और शैतान को जकड़ देता है। ताकि वह अल्लाह के बंदों को इस तरह गुमराह ना कर सके जिस तरह आम दिनों में करता है। ऐसा महीना के जिसमें अल्लाह रब्बुल आलमीन सबसे ज्यादा अपने बंदों को जहन्नम से आजादी का उपहार देता है। जिसमें खुसूसी तौर पर अल्लाह अपने बंदों की मगफिरत करता और उनकी तोबा और दुआएं कुबूल करता है। तो ऐसे अजीमुश्शान महीने का पाना यकीनन अल्लाह रब्बुल आलमीन की बहुत बड़ी नियमत है। और इस नियमत की प्रतिष्ठा का अंदाजा आप इसी बात से कर सकते हैं कि  सलफ-सालेहीन रहेमाहुमुल्लाह 6 माह तक यह दुआ करते थे कि अल्लाह हमें रमजान उल मुबारक का महीना नसीब फरमा। फिर जब रमजान उल मुबारक का महीना गुजर जाता तो वह इस बात की दुआ करते कि या अल्लाह हमने इस महीने में जो इबादत की तू उन्हें कुबूल फरमा। क्योंकि वह इस बात को जानते थे कि यह महीना किस कदर अहम है। 

लिहाज़ा हमें भी इस महीने को गनीमत समझते हुए इस की बरकात से भरपूर फायदा उठाना चाहिए।

इस मुबारक महीने की असंख्य विशेष हैं जिनके बिना पर उसे अन्य महीनों पर फजीलत हासिल है। उनमें से कुछ निम्नलिखित हैं।

(1) कुरआन करीम का उतरना

अल्लाह रब्बुल आलमीन ने आसमानी किताबों में से सबसे अफजल किताब कुरआन मजीद को महीनों में से सबसे अफजल महीना रमजान उल मुबारक में उतारा। बल्कि इस मुबारक महीने की सबसे अफजल रात लैलतुल कद्र में इसे लौहे महफूज से आसमानी दुनिया पर एकबारगी नाजिल फरमाया। और उसे बैतूल उज्जा में रख दिया। जैसा कि अल्लाह रब्बुल आलमीन का फरमान है कि "वह रमजान का महीना था जिसमें कुरआन नाजिल किया गया जो लोगों के लिए हिदायत का रहस्य है में और उसमें हिदायत एवं हक-बातिल के बीच अंतर करने की निशानियां है"

और इसी तरह फरमाया "हमने उसे लैलतुल कद्र में नाजिल फरमाया"

(2) जहन्नम से आजादी

इस मुबारक महीने की दूसरी खुसूसियत यह है कि इसमें अल्लाह रब्बुल आलमीन अपने बहुत सारे बंदों को जहन्नम से आजादी नसीब करता है। जैसा कि हजरत जाबिर रजि अल्लाह ताला अन्हू रवायत करते हैं कि रसूले अकरम सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम ने फरमाया "बेशक अल्लाह रब्बुल आलमीन के हर इफ्तारी के वक्त बहुत से लोगों को जहन्नम से आजाद करता है। और ऐसा हर रात करता है"

और हदीस के पैसे नजर हमें अल्लाह ताला से खुसूसी तौर पर यह दुआ करनी चाहिए कि वह हमें भी अपने खुशनसीब बंधुओं में शामिल कर ले जिन्हें वह इस महीने में जाना याद करता है क्योंकि असल कामयाबी है जैसा कि अल्लाह रब्बुल आलमीन का फरमान है फिर जिस शख्स को आग से दूर कर दिया जाएगा और उसे जन्नत में दाखिल जन्नत में दाखिल कर दिया जाएगा तो यकीनन वह कामयाब हो जाएगा और दुनिया के धोखे का सामान नंबर 3 जन्नत के दरवाजे को खोला जाना नंबर 4 जहन्नम के दरवाजों का बंद किया जाना नंबर 5 सर्कस शैतानों का झगड़ा जाना यह तीनों उम्र भी रमजान उल मुबारक की खुसूसियत में से है जैसा के हजरत अबू हुरैरा रवि अल्लाह ताला अनु बयान करते हैं कि रसूले अकरम सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम ने इरशाद फरमाया जब माहे रमजान की पहली रात आती है तो शैतानों और सर्कस जनों को जकड़ दिया जाता है जानम के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं और उसका कोई दरवाजा खुला नहीं छोड़ा जाता और जहन्नम के और जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं और उसका कोई दरवाजा बंद नहीं छोड़ा जाता और एक ऐलान करने वाला बुखार करके ता है यह सर के तलब गार आगे बढ़ और एस्टर के तलब गार अब तू रुक जा नंबर 6 एक रात हजार महीनों से बेहतर माहे रमजान उल मुबारक की खुसूसियत में से एक खुसूसियत यह है कि इसमें एक रात ऐसी है जो हजार महीनों से बेहतर है फरमान ए इलाही है लैलतुल कद्र हजार महीनों से बेहतर है और हजरत अनस बिन मालिक बयान करते हैं जब माहे रमजान शुरू हुआ तो रसूले अकरम सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम ने फरमाया तुम्हारे पास आ चुका है इसमें एक रात ऐसी है जो हजारों से बेहतर है और जो शख्स से महरूम हो जाता है वह मुकम्मल हर से महबूब हो जाता है और उसकी हर से तो कोई हाथी की मेहरून ही मैहरूम रह सकता है नंबर 7 रमजान में उमरा हज के बराबर महीने की साथ में उस उचित यह है कि इसमें हज इसमें उमरा हज के बराबर होता है हजरत अब्दुल्ला हजरत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रोहिल्ला होता है लाल हो शेरावत है कि कि रसूले अकरम सल्लल्लाहो वाले वसल्लम ने अंसारी हां तुमको फरमाया जब माहे रमजान आ जाए तो तुम उसमें उमरा कर लेना क्योंकि इसमें उमरा हज के बराबर होता है एक रवायत में इस हदीस के अल्फाज दिए हैं कि रसूले अकरम सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ने एक अंसारी हाथों से जिसे उम्र में स्नान कहा जाता था कहा तुमने तुम्हारे हमारे साथ हट क्यों नहीं किया तो उसने सवारी के ना होने का उसूल पेश किया उस पर रसूले अकरम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि रमजान में उमरा करना मेरे साथ आज की हवा है यानी जो शख्स मेरे साथ आज नहीं कर सका वह अगर रमजान में उमरा कर ले तो गया उसने मेरे साथ आज कर लिया

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

وقت بڑا انمول ہے۔

وقف بورڈ 2024 میں ترمیمی قانون

वक्फ संशोधन बिल 2024 एक गन्दी पॉलिसी